दिल्ली विश्वविद्यालय के तीन वैज्ञानिकों के एक शोध का तर्क रखते हुए हुक्मचंद सांवला ने कहा कि एक कमेले में पशुओं के कटान के समय निकलने वाली चीख-चिल्लाहट से 1040 मेगावाट इपीडब्ल्यू तरंग निकलती है जो भू-मंडल में इंटरैक्ट करती है। यही तरंगें भूमि के अंदर पानी तक पहुंच रेडियम के संपर्क में आकर दस गुणा बढ़ जाती हैं और यही भू-खंड में कंपन का कारण बनती हैं, जिससे भूकंप और सुनामी जैसी विपदाएं आती हैं। आने वाले दिनों में विशव में अधिक भूकंप आ सकते हैं |